जब लहू से सूली को किया पवित्र..
जनता जनार्दन डेस्क ,
Mar 29, 2013, 13:19 pm IST
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नई दिल्ली: गुड फ्राइडे यानी 'भला शुक्रवार' ईसाई धर्मावलंबियों का प्रमुख त्योहार माना जाता है। इस दिन शैतानों ने ईसा मसीह को सूली पर चढ़ा दिया था।
ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने दुनिया में अपने लोगों के उद्धार के लिए अपने पुत्र को मानव रूप में धरती पर भेजा था। ईसा को परमेश्वर की आज्ञा से लोगों के पाप-क्षमा और उद्धार के लिए धरती पर दुख भोगना था। ईसा ने साधारण मानव के रूप में धरती पर जन्म लिया और युवावस्था में अपने सांसारिक माता-पिता का घर छोड़कर परमेश्वर की आज्ञा का पालन करने निकल पड़े। अपनी मृत्यु से पहले ईसा ने आने वाली घड़ी की तैयारी के लिए चालीस दिन और चालीस रातों का उपवास रखा और ईश्वर से प्रार्थना करते रहे। इस दौरान शैतान (ईबलीस) ने उनके सांसारिक रूप का फायदा उठाकर तरह तरह से उनकी परीक्षा ली और उनको कर्तव्य से भटकाना चाहा। लेकिन ईसा अपने पिता परमेश्वर के आदेश का पालन करने के अपने इरादे में अटल रहे। उन्होंने घूम-घूम कर परमेश्वर के सुसमाचार का प्रचार करना शुरू कर दिया, वह गिरजाघरों और सभाओं में शांति, मानवता और सच्चाई के मार्ग का उपदेश देने लगे। उनकी लगातार बढ़ रही ख्याति और अनुयायियों की संख्या ने येरूशलम के पदासीन महायाजकों (धर्मगुरुओं) को चिंता में डाल दिया और ईष्यावश उन्होंने ईसा को मरवाने की साजिश रची। अपनी मृत्यु से ठीक पहले ईसा जब एकांत में जाकर परमेश्वर से प्रार्थना कर रहे थे, महायाजकों ने धोखे से उनको गिरफ्तार कर यहूदियों के तत्कालीन राजा पोंतियुस पिलातुस के समक्ष पेश किया और उन पर यह आरोप लगाते हुए कि वह खुद को परमेश्वर का पुत्र कहते हैं और यह ईश्वर का अपमान है, उन्हें क्रूस (लकड़ी के तख्तों से बने एक आकार पर कीलों से ठोककर दिया जाने वाला मृत्युदंड) पर चढ़ाने की मांग रखी। गुड फ्राइडे के दिन सूली पर चढ़ाने से पहले ईसा को तरह तरह से यातनाएं दी गईं, अपमानित किया गया और उन्हें स्वयं अपना क्रूस ढोकर उस जगह तक जाने को मजबूर किया गया, जहां अपराधियों को क्रूस पर लटका कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता था। ईसाई विश्वासियों की मान्यता है कि परमेश्वर ने अपने लोगों के उद्धार और उनके पापों की क्षमा के लिए अपने पुत्र का बलिदान दे दिया था। इसी याद में ईसाई विश्वासी 'गुड फ्राइडे' मनाते हैं, ईसा मसीह के दुखों को याद करके इस दौरान उपवास रखते हैं, शोक मानाते हैं। इस दिन गिरजाघरों में विशेष प्रार्थना सभाएं की जाती हैं। मान्यता है कि परमेश्वर का पुत्र होने के कारण ईसा मसीह अपनी मृत्यु (शुक्रवार) के तीसरे दिन रविवार की भोर जी उठे थे। उनके जी उठने की खुशी में रविवार को ईस्टर (पुनरुत्थान पर्व) मनाया जाता है। इस दिन गिरजाघरों में धन्यवाद की प्रार्थनाएं अर्पित की जाती हैं और घर-घर में खुशियां मनाई जाती हैं। |
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