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चिदंबरम के लॉलीपॉप से खुश कौन

मु. जहाँगीर आलम , Mar 02, 2013, 16:03 pm IST
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फ़ॉन्ट साइज :
चिदंबरम के लॉलीपॉप से खुश कौन  वित्त मंत्री के तौर पर पी चिदंबरम ने अपना आठवां बजट पेश करते हुए महंगाई  को भारत की बड़ी चुनौती और विदेशी निवेश को भारत के लिए जरुरी बताते हुए कहा कि यूपीए सरकार का मूल मंत्र होगा तेज विकास जो सब को साथ लेकर चले।   

पी चिदंबरम के बजट पेश करने से पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि अगामी आम चुनाव को नजर में रखते हुए सरकार इस बजट में कड़े फैसले लेने से बचेगी। कमोबेश हुआ कुछ ऐसा ही। अर्थव्यवस्था को मजबुती देने के लिए न तो कोई ठोस कदम उठाए गए और न ही राजकोषिय घाटे को पटाने को ठोस उपाय।    

एक तथ्य यह भी सामने उभर के आता है कि सवा अरब आबादी वाले देश में महज तीन से चार प्रतिशत लोग ही टैक्स का भुगतान करते है, अगर टैक्स का समुचित तरीके से संग्रह हो और इसका दायरा बढ़ाया जाए तो भारतीय अर्थव्यवस्था को और गति मिल सकती है ।

देश का मध्यम वर्ग इस चुनावी साल में राहत की उम्मीद लगाए बैठा था, लेकिन मायूसी ही उसके हाथ लगी। इस बजट से महत्वपूर्ण बात यहै कि टैक्स की दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है । इससे कुछ निराशा हुई है क्योकि पहले आयकर में २.४ लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छुट मिलने का अनुमान था । इस मायूसी को खत्म करने के लिए दो हजार का लॅालिपॅाप थमा दिया। २ से ५ लाख तक की आय पर आयकर में २००० रुपये की छुट दी गयी है । इसका मतलब यह हुआ कि मध्यम वर्ग के लगभग सभी व्यक्ति को टैक्स में दो हजार की छुट मिलेगी, जोकि ऊंट के मुहं में जीरा के समान है। अगर सरकार को राहत ही देनी थी तो इस रकम को थोड़ा और बढ़ाया जाता।

मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स में तो राहत नहीं दी गई पर अमीरों की जेबों पर औऱ भार डाल दिया गया। अगर यों कहा जाए कि करोड़पतियों को अब सरचार्ज के तौर पर ज्यादा टैक्स चुकाना होगा। सलाना एक करोड़ से ज्यादा आय वालों पर १० फिसदी सरचार्ज लगाने का प्रावधान किया गया है।

इस बजट में आम आदमी के लिए बजट का एक सुखद पहलू भी है। पहली बार घर खरीदने वालों को 25 लाख के होम लोन पर एक लाख तक की छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया है। खरीदारों को एक लाख रुपये तक के ब्याज की अतिरिक्त कटौती की सुविधा मिलना काफी राहत भरा कदम है। इस कदम से आम आदमी के लिए घर के सपने को साकार करने में थोड़ी मदद तो जरूर मिलेगी।

बजट में किसानों पर खास मेहरबानी करने के साथ उन्हेंर लुभाने की कोशिश की गई है। कृषि ऋण के लक्ष्य में 1.25 लाख करोड़ रुपये की भारी वृद्धि के प्रस्ताव के साथ-साथ अगले वित्त वर्ष में 7 लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, हरित क्रांति को बढ़ावा देने के लिए एक हजार करोड़ रुपये। अब यह दीगर है कि 1000 करोड़ रुपये से कैसी और कब तक हरित क्रांति आएगी पर इस मद में बजट आवंटित करने का ख्या ल सरकार को आया तो सही।

किसानों को आर्थिक मदद का दायरा बढ़ाते हुए प्राइवेट बैंकों से भी अब कर्ज की व्यकवस्थाी की गई है। लोन देने वाले किसानों को चार फीसदी पर कर्ज मिलेगा। जाहिर है कम कीमत में लोन मिलने पर कृषक को कुछ तो राहत जरूर मिलेगी। वहीं, नई फसलों के लिए 200 करोड़ देने के साथ-साथ कृषि कार्यों के लिए मशीनीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास, वैकल्पिक फसलों पर भी बल दिया गया है। जाहिर है कि इन कदमों से कृषि क्षेत्र की विकास गति को बल मिलेगा और किसान भी लाभान्वित होंगे।

पी चिदंबरम ने महिलाओं, युवा और गरीब तबके को भारत के तीन चेहरे बताया। महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा का हवाला देते हुए 1,000 करोड़ रुपए के 'निर्भया फंड', युवा वर्ग में स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए 1,000 करोड़ रुपए और गरीबों को सीधे पैसे देने की 'डायरेक्ट ट्रांसफर स्कीम' को पूरे देश में लागू करने की घोषणा की।

महिला विकास, महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य, अनुसूचित जाति कल्याण, कृषि ऋण, कुपोषण, ग्रामीण रोजगार योजना, जल और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों के लिए परिव्यय में वृद्धि, मानव संसाधन विकास, खाद्य सुरक्षा, एकीकृत बाल विकास आदि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिस पर यदि कारगर तरीके से जोर दिया जाता है तो सामाजिक हकीकत की तस्वीकर भी बदलेगी।

बजट प्रस्तावों के अनुसार 2013-14 में खाद्य, पेट्रोलियम तथा उर्वरकों पर सरकार का सब्सिडी बिल 2,20,971.50 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। यदि धीरे-धीरे इसे और नियंत्रित किया जाए तो आर्थिक दशा सुधरने के अलावा घाटे की तरफ ज्यामदा ध्या न केंद्रित नहीं करना पड़ेगा। इसमें कोई संशय नहीं है विदेशी निवेश इसमें काफी मददगार हो सकता है। 2012-13 में राजकोषीय घाटा 5.2 प्रतिशत पर रहा। 2013-14 में घटाकर इसे 4.8 प्रतिशत करने प्रस्ताव किया गया है। आंकड़ों में यह प्रस्ताव अच्छा लगता है पर सरकार को इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने होंगे।
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