![]() |
![]() |
भारत में उच्च शिक्षा की स्थिति चिंताजनक : नजीब जंग
जनता जनार्दन डेस्क ,
Feb 17, 2013, 18:29 pm IST
Keywords: Jamia Millia Islamia University Vice-Chancellor Najeeb Jung higher education higher education in India जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय कुलपति नजीब जंग उच्च शिक्षा भारत में उच्च शिक्षा
![]() जंग ने कहा, "मैं उच्च शिक्षा में आ रहे शिक्षकों की योग्यता को लेकर चिंतित हूं।" इस विषय पर जंग ने भी वही चिंता जाहिर की जो राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जाहिर कर चुके हैं। जंग ने कहा कि शिक्षा प्रणाली में किया जा रहा मौजूदा बदलाव 'बाह्य अलंकरण' है और यह महसूस किया जा रहा है कि निजी विश्वविद्यायों की 'उच्च शिक्षा के प्रति कोई प्रतिबद्धता' नहीं है। अपने कार्यालय में एक भेंटवार्ता में जंग ने आईएएनएस से कहा, "हम शिक्षकों को जो अनुसंधान करना चाहिए उसकी गुणवत्ता में नहीं झांक रहे हैं। असली गुणवत्ता वाले अनुसंधान के बगैर आप उच्च शिक्षा में प्रगति नहीं ला सकते।" स्थापना के 93 वर्ष पूरे कर चुके जामिया मिलिया विवि ने राष्ट्रीय स्तर की कुछ हस्तियां दी हैं जिनमें से एक पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन थे। हुसैन इस विवि के कुलपति रह चुके थे। उच्च शिक्षा में सुधार लाने के उपाय सुझाने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित कुलपतियों की समिति के जंग अध्यक्ष हैं। जंग का मानना है कि विश्वविद्यालयों द्वारा सेमेस्टर पद्धति और स्नातक पाठ्यक्रम को चार वर्ष का बनाने जैसा किया गया बदलाव आदि केवल अलंकरण है। उन्होंने कहा, "मेरा अभी तक मानना है कि यह बाह्य अलंकरण है। मैं वास्तव में सोचता हूं कि हम विस्तृत आधार वाले, बेहतर, ठोस शिक्षा के बारे में नहीं सोच रहे। मैं सोचता हूं कि लोग केवल अपने खास विषय पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।" निजी विश्वविद्यालयों पर बात करते हुए जंग ने कहा, "निजी विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं होती। वे सिर्फ शुल्क वसूलते हैं। गुणवत्ता कहां है?" उन्होंने अपने पास आने वाले अभिभावकों की संकीर्ण मानसिकता और अपने बच्चों को 'शिक्षण पेशा' अपनाने को प्रोत्साहित करने का उल्लेख किया। जंग के मुताबिक इस पेशे में 'आकर्षक लाभ' के कारण अभिभवकों की ऐसी पसंद बन रही है। उन्होंने कहा, "अभिभावक मेरे पास आते हैं और कहते हैं साब जॉब ओरिंएटेड कोर्स होना चाहिए। मैं उनसे कहता हूं कि मैं आपको जॉब ओरिएंटेड कोर्स नहीं देना चाहता। जॉब तो तभी मिलेगी जब आपके बच्चे बेहतर शिक्षित होंगे और यदि वे पर्याप्त ज्ञान हासिल करेंगे, लेकिन वे यह करना ही नहीं चाहते हैं।" समस्या की तह की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, "समस्या यह है कि कुछ और नौकरी नहीं मिली तो पीएचडी कर लो। पीएचडी कर ली, कुछ और नहीं मिला तो टीचिंग कर लो।" "लेकिन यह अध्यापन में शामिल होने का रास्ता नहीं है। यदि आप अध्यापन में आना चाहते हैं तो आप को अनुसंधान आधारित होना चाहिए।" उन्होंने गुणवत्ता का उल्लेख करते हुए अपने दो अनुभव सुनाए। सेंटर फॉर मीडिया, कल्चर एंड गवर्नेस के लिए 37 प्रत्याशियों में से 35 बिलकुल गए बीते निकले जिन पर बमुश्किल एक मिनट से भी ज्यादा समय देना बेकार था। बस दो ऐसे प्रतिभागी थे जो मेधावी थे। दूसरा अनुभव विश्वविद्यालय में अभियांत्रिकी के एक शिक्षक की नियुक्ति से जुड़ा था। इस शिक्षक ने आईआईटी दिल्ली से शिक्षा पा कर ह्यूस्टन से पीएचडी की उपाधि हासिल करने वाले को पछाड़ा था। जिसे शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया वह ह्यूस्टन से पढ़कर आए प्रतिभागी से कहीं ज्यादा बेहतर साबित हुआ। |
क्या विजातीय प्रेम विवाहों को लेकर टीवी पर तमाशा बनाना उचित है? |
|
हां
|
|
नहीं
|
|
बताना मुश्किल
|
|
|