Wednesday, 24 April 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

'मटरू की बिजली का मंडोला' पर किसका मन डोला

'मटरू की बिजली का मंडोला' पर किसका मन डोला फिल्म मटरू की बिजली का मंडोला का टाइटल ही अपने आप में अनोखा और कुछ अलग है। इस टाइटल से शुरुआती तौर पर फिल्‍म के कुछ अलग होने का अंदेशा मिलता है। हालांकि इस फिल्‍म में रफ टफ कॉमेडी का पुट भी है, लेकिन यह कुछ ही जगहों पर ज्‍यादा प्रभावी है। ऐसा लगता है फिल्‍मकार और निर्देशक विशाल भारद्वाज के पास इस फिल्‍म को बनाने के लिए पर्याप्‍त संशाधन थे ताकि इसे लीक से हटकर एक अलग कथानक दिया जा सके। हालांकि उनकी अन्‍य फिल्‍मों की तुलना में इसमें गुणवत्‍ता की कमी झलकती है।

विशाल भारद्वाज कुछ पुराने अंदाज में मटरू की बिजली लेकर आए हैं। इसमें पिया हुआ आदमी, गालियां और छोटे गांव पर आधारित कथानक है। इस बार इनकी फिल्म में देखने लायक कुछ नहीं है। हालांकि, कलाकारों का अभिनय इस फिल्म को कुछ गति दे सकता है।

`मटरू की बिजली का मंडोला` के शुरुआत में हरिपूल उर्फ हैरी मंडोला (पंकज कपूर) जो काफी अमीर हैं और नशे में धुत रहने वाले बिल्‍डर हैं। वहीं, मटरू (इमरान खान) अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अपने पारिवारिक परंपरा को निभाते हुए मंडोला फैमिली की सेवा में लगा रहता है। हरियाणा के एक छोटे से गांव मंडोला में फिल्‍म की पूरी कहानी घूमती है। अपने निजी हितों के लिए शबाना आजमी के साथ मिलकर हैरी किसानों की उपजाऊ जमीन को हथियाने की योजना बनाता रहता है।

मटरू की बिजली का मंडोला एक राजनैतिक कॉमेडी है। मटरू (इमरान खान), बिजली (अनुष्का शर्मा) और हैरी मंडोला (पंकज कपूर) मुख्य भूमिका में हैं। कहानी हरियाणा में बसे एक छोटे से गांव से शुरू होती है। यहां एक भ्रष्ट राजनेता (शबाना आजमी) एक उद्योगपति के साथ मिलकर किसानों की जमीन सरकार को बेचना चाहते हैं। माउ नाम का एक आदमी उनकी योजना पर पानी फेर देता है। इसके बाद एक हाई प्रोफाइल शादी का मसला सामने आता है। फिर आती है एक उलझी हुई लव स्टोरी और गुलाबी भैंस (गुलाबो)।

पंकज कपूर ने इस फिल्‍म में पहले सीन से ही अपने अभिनय से सबको प्रभावित करना शुरू किया है। पीने के बाद उसका पागलपन देखते ही बनता है। कुछ दृश्‍यों में पंकज कपूर एक प्लेन उड़ाते हैं और उद्योगपति के खिलाफ अपनी आवाज भी उठाते हैं। इमरान खान को मटरु के किरदार में पूरी तरह फिट करने में उतनी कामयाबी नहीं मिली है। उनका किरदार उतना प्रभावी नहीं है। पूरी फिल्म में इमरान का किरदार में समझ का अभाव दि खता है।

वहीं, अनुष्का शर्मा ने अपने किरदार बिजली के साथ न्याय किया है। अपने नाम की तरह बिजली गिराने वाली वह खुद ही है। उन्होंने अभिनय और संवाद पर ज्‍यादा फोकस किया है। शबाना आजमी की बात करें तो वह काफी हास्यास्पद लगी है। उन्होंने अपने किरदार से फिल्म में जान फूंकी है। पंकज के साथ फिल्माए कुछ सीन में वह दर्शकों का ध्यान खीचती है। फिल्म का सबसे अहम किरदार गुलाबो (गलाबी भैंस) और दारु फिल्म के दो अहम हिस्से हैं।

प्रभावी किरदार और कमजोर पटकथा के कारण इस फिल्‍म के दर्शकों की ओर से नजर अंदाज किए जाने का डर है। जैसी की उम्‍मीद थी पर विशाल की इस फिल्‍म की कहानी में ज्‍यादा दम नहीं नजर आता है। हालांकि, पंकज कपूर के अभिनय को सराहा जा सकता है। इस फिल्‍म में प्रमुख कलाकार हैं- इमरान खान, अनुष्का शर्मा, पंकज कपूर, शबाना आजमी। फिल्‍म के निर्देशक हैं विशाल भारद्वाज।
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल