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कैसे हुई लाल बहादुर शास्त्री की मौत, रहस्य बरकरार!

जनता जनार्दन डेस्क , Jan 10, 2013, 12:23 pm IST
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कैसे हुई लाल बहादुर शास्त्री की मौत, रहस्य बरकरार! नई दिल्ली: कुछ मौतें ऐसी होती हैं जो ताउम्र रहस्य बनी रहती हैं... गुदड़ी के लाल...लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में मौत ऐसा ही एक रहस्य है, जो 46 वर्ष बाद आज भी रहस्य बना हुआ है।

सरकार गोपनीयता एवं विदेशी संबंधों का हवाला देकर इसे उजागर करने से इंकार कर रही है, लेकिन उनके परिवार के सदस्य इस रहस्य पर से पर्दा उठाने की मांग कर रहे है।
   
लाल बहादुर शास्त्री के पुत्र एवं कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने कहा कि मेरी मां (ललिता) को शुरू से ही संदेह था कि उनका निधन स्वभाविक नहीं है। इस मामले में जांच में काफी विलम्ब हो चुका है, लेकिन अभी भी काफी कुछ किया जा सकता है। सच तो बाहर आना ही चाहिए।
   
उन्होंने संदेह जताया कि उस समय शास्त्रीजी की देखरेख में लापरवाही बरती गई, क्योंकि यह कैसे संभव है कि प्रधानमंत्री के कमरे में टेलीफोन और चिकित्सा सुविधा नहीं हो।
   
उन्होंने कहा कि 70 के दशक में जनता पार्टी की सरकार ने आश्वासन दिया था कि सच सामने लाया जायेगा। लेकिन तत्कालीन गृह मंत्री चरण सिंह ने उस समय कहा था कि ऐसे कोई प्रमाण नहीं है।
   
अनिल शास्त्री ने कहा कि इस मामले में आज की तारीख में शास्त्रीजी के साथ के कई लोग जीवित नहीं है। उनके चिकित्सक रहे डॉक्टर चुग के पूरे परिवार की दिल्ली के रिंग रोड में सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है।
   
अनिल शास्त्री ने कहा कि उनके साथ के मास्टर अर्जुन सिंह और शास्त्रीजी के संयुक्त सचिव रहे सी पी श्रीवास्तव अभी जीवित हैं, जो अब विदेश में रहते हैं। श्रीवास्वत ने इस विषय पर एक पुस्तक लाइफ आफ ट्रूथ इन पॉलिटिक्स लिखी है।
   
उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों में वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर भी शामिल हैं जो उनके साथ ताशकंद गए थे। उनको शास्त्रीजी के निधन की परिस्थितियों पर गंभीर संदेह है और इसका उल्लेख उन्होंने अपनी पुस्तक में भी किया है। उन्होंने कहा कि इन सभी परिस्थितियों का खुलासा होना चाहिए और संदेह के बादल छंटने चाहिए।
   
शास्त्री ने कहा कि कुछ समय पहले सूचना के अधिकार कानून के तहत इस बारे में मांगी गई जानकारी के जवाब में सरकार ने कहा था कि ये दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किये जा सकते क्योंकि इससे विदेश संबंध प्रभावित होंगे और यह देशहित में नहीं होगा।
   
उन्होंने कहा कि कम से कम दस्तावेज तो सार्वजनिक किये ही जा सकते है, इसमें कोई हर्ज नहीं होना चाहिए।
   
सूचना के अधिकार के तहत अनुज धर ने शास्त्रीजी के निधन के बारे में जानकारी मांगी थी। सरकार से जानकारी नहीं मिलने के बाद अब अनुज धर एंड दी सिक्रेसी डॉट कॉम ब्लॉग के माध्यम से अभियान चला रहे हैं।
   
गौरतलब है कि 11 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री की तत्कालीन सोवियत संघ के ताशकंद में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। वह पाकिस्तान के साथ संधि करने वहां गए थे। इस मामले में वहां उनकी सेवा में लगाए गए एक बावर्ची को हिरासत मे लिया गया था, लेकिन बाद में उसे छोड़ दिया गया।
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