प्रोन्नति में आरक्षण को लेकर कर्मचारियों का गुस्सा और बढ़ा
अशोक मिश्र ,
Dec 19, 2012, 11:22 am IST
Keywords: Reservation in promotion Constitution Amendment Bill Rajya Sabha Satya Singh SC and ST प्रोन्नति में आरक्षण संविधान संशोधन विधेयक राज्यसभा सत्यदेव सिंह अनुसूचित जाति एवं जनजाति
लखनऊ: सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा में हरी झंडी मिलने के बाद प्रदेश के राज्य कर्मचारियों का गुस्सा और बढ़ गया है। उन्होंने हड़ताल जारी करने का निर्णय लिया है। आरक्षण विरोधी आंदोलन की अगुवायी कर रहे सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे ने राज्यसभा में हुए निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए आंदोलन जारी रखने का एलान किया।
हाथों मे तिरंगा व आरक्षण विरोधी नारों की तख्तियां लेकर आज भी हजारों कर्मियों ने विधान सभा के समक्ष प्रदर्शन किया। समाजवादी पार्टी के साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं ने भी इनका साथ दिया। उधर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सत्यदेव सिंह ने आज पार्टी मुख्यालय पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि कल राज्य सभा द्वारा 117वाँ संविधान संशोधन दो तिहाई बहुमत से स्वीकार किया गया है। बुधवार को इस विधेयक को लोकसभा से पारित कराया जाना है। अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लिए पहले से ही संविधान में समुचित व्यवस्था है और यदि इसके रहते भी वांछित परिणाम नही आ पाएं है तो इसकी जिम्मेदारी केन्द्र सरकार पर है। ऐसे क्या कारण रहे है जिससे संविधान प्रदत्त आरक्षण का पूरा लाभ अनुसूचित जाति एवं जनजाति को नही मिल पाया है। आरक्षण व्यवस्था जाति व्यवस्था तथा सामाजिक कुरीतियों के विरूद्ध सुरक्षा एवं अवसर प्रदान करने के लिए संविधान में स्वीकार किया गया है। सबको बराबर का अवसर, भागीदारी एवं राष्ट्रीय सम्पदा में समानता के सिद्धांत पर साझेदारी के अवसर उपलब्ध कराना ही आरक्षण की मूल भावना है। यह संविधान संशोधन सामाजिक समरसता को कमजोर करेगा एवं आने वाले समय में समाज में विद्वेष और रोष को बढ़ाएगा। लोकसभा के सभी सम्मानित सदस्यों को इस आरक्षण से उपज रहे तनाव, प्रशासनिक दक्षता पर होने वाले आघात को विचार में रख कर ही मतदान करें ऐसा आग्रह है। राष्ट्रहित समाज हित व वंचितों तथा पिछड़े गए लोगों के हित का सम्यक ध्यान रख कर ही इस संविधान संशोधन पर लोकसभा में मतदान होना चाहिए। जल्दवाजी में और मात्र चुनावों की गणित से समाज को तोड़ने की कार्यवाही किसी भी दृष्टि से उचित नही है। श्री सिंह ने अपील किया कि लोकसभा में इस बिल पर पुनः विचार किया जाए क्योंकि इस संशोधन के वर्तमान स्वरूप के कारण राष्ट्रहित पर होने वाले दूरगामी परिणाम से बचा जा सके। |
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