Thursday, 28 March 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

मौत की सजा पर पुनर्विचार करे भारत

मौत की सजा पर पुनर्विचार करे भारत नई दिल्ली: भारत के लिए क्या मौत की सजा पर पुनर्विचार करने और इसे खत्म करने वाले देशों की कतार में शामिल होने का यही उपयुक्त समय है? मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि फांसी का कोई उद्देश्य नहीं है और सरकार का कर्तव्य बनता है कि संसद पर हमला मामले में दोषी ठहराए अफजल गुरू समेत अन्य की दया याचिका पर अनुकंपा के साथ फैसला ले और सजा खत्म करे।

गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 21 नवंबर को 26/11 के दोषी अजमल कसाब को फांसी दिए जाने के बाद मौत की सजा पर पुनर्विचार करने की चर्चा की थी।

प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं वकील विरेंद्र ग्रोवर के मुताबिक भारत के लिए मौत की सजा पर पुनर्विचार करने की जरूरत है, क्योंकि यह स्थापित हो चुका है कि यह सजा निवारक नहीं है। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि आत्मघाती बम के युग में मौत की सजा बेकार हो चुकी है।

एमेनेस्टी ने कसाब की फांसी को भारत के लिए प्रतिगामी कदम करार दिया है। फांसी से दो दिन पहले भारत उन 39 देशों की अल्पमत जमात में शामिल हुआ जिन्होंने मौत की सजा को खत्म करने का आह्वान करने वाले प्रस्ताव के मसौदे के खिलाफ मतदान किया। कसाब की फांसी के बाद अब अफजल गुरू को फांसी देने की मांग को लेकर शोर-शराबा शुरू हो गया है।

सोमवार को गृहमंत्री ने कहा क 20 दिसंबर को संसद का शीतकालीन सत्र समाप्त होने के बाद वे अफजल गुरू समेत छह दया याचिकाओं की जांच करेंगे।
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल