यहां मौजूद है भारत का पहला 'रुपया'

यहां मौजूद है भारत का पहला 'रुपया' बड़ौत: संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था में आज भारतीय मुद्रा रुपये के रूप में जानी जाती है। क्या किसी ने यह भी सोचा कि भारतीय इतिहास में वह कौन सा शासक था जिसने भारत में पहला रुपया चलाया और रुपया दिखने में कैसा होगा। अगर इन सभी सवालों का जवाब जानना है तो बड़ौत के शहजाद राय शोध संस्थान चले आइए।

नगर के शहजाद राय शोध संस्थान के दुर्लभ मुद्रा संग्राहलय में भारत के प्रथम रुपयों के साथ-साथ तांबे के पैसे भी मौजूद हैं। जिन्हें शेर शाह सूरी ने अपने समस्त साम्राज्य में एक अच्छी मुद्रा व्यवस्था लागू करने के लिए प्रचलित किया था।

संस्थान के निदेशक अमित राय जैन बताते हैं कि वर्तमान में मौजूद भारतीय रुपये जिस शक्ल में मौजूद हैं उनसे कहीं अधिक कलात्मक दुर्लभ धातु चांदी से निर्मित किए गए रुपये की व्यवस्था ने भारतीय अर्थ व्यवस्था को नई पहचान दी। इसको सूरी वंश के शासन के उपरांत मुगल शासकों ने भी अपनाना प्रारंभ किया।

शेर शाह सूरी ने चांदी के रुपयों के साथ टंकों का भी प्रचलन किया, लेकिन अपने राज्य विस्तार के साथ उसने सभी टकसालों से रुपयों को ही निकालना शुरू कर दिया। ये सिक्के विशुद्ध चांदी से निर्मित थे। जो कि वर्तमान में भारतीय रुपये का गौरवशाली ऐतिहासिक प्रारंभिक रूप है।

शेर शाह सूरी का शासन काल 1538 ई से 1545ई तक रहा। इसने अफगान से लेकर वर्तमान के बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी उप्र पर आक्रमण कर दिल्ली तक अपना साम्राज्य स्थापित किया और भारतीय मुद्रा जो कि उससे पूर्व अलग-अलग प्रदेशों में अलग-अलग नाम से पुकारी जाती थी उसे रुपये का नाम दिया और अपने साम्राज्य में एक ही तरह के चांदी के सिक्कों को प्रचलित किया। जो आज भी भारत के गौरव का प्रतीक है।
अन्य अन्य लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल