Thursday, 28 March 2024  |   जनता जनार्दन को बुकमार्क बनाएं
आपका स्वागत [लॉग इन ] / [पंजीकरण]   
 

अंग्रेजी साहित्य के हिंदी अनुवाद का चलन बढ़ा

अंग्रेजी साहित्य के हिंदी अनुवाद का चलन बढ़ा नई दिल्ली:अंग्रेजी लेखकों और प्रकाशकों को विशाल हिंदी पाठक वर्ग की हैसियत का बखूबी अंदाजा है और इसलिए उन्होंने अंग्रेजी किताबों को अनुवाद के सहारे हिंदी बाजार में खपाने का प्रयास तेज कर दिया है।

अंग्रेजी में लिखी 'हेलो बस्तर', 'द सीक्रेट्स ऑफ द नागाज', 'चाणक्याज चैंट', 'वूमन एंड द वेट लॉस तमाशा' और 'टू फेट्स : द स्टॉरी ऑफ माई डिवोर्स' को वेस्टलैंड लिमिटेड एवं यात्रा बुक्स ने एक नए व्यावसायिक गठजोड़ के तहत हिंदी में अनूदित किया है।

यात्रा बुक्स की पार्टनर नमिता गोखले ने मीडिया से बातचीत में कहा, "इन सफल किताबों का हिंदी अनुवाद पेश करने के पीछे हिंदी के विशाल पाठक वर्ग तक पहुंचने का उद्देश्य छिपा है। मंदारिन, अंग्रेजी और स्पेनिश के बाद हिंदी दुनिया की चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, ऐसे में हम इस बाजार को गंभीरता से क्यों नहीं लें?"

पिछले एक दशक में हिंदी में अनूदित एवं मूल रचनाओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ। पेंग्विन और हार्पर कॉलिन्स-इंडिया जैसे प्रमुख प्रकाशन घरानों ने हिंदी बाजार को गंभीरता से लेते हुए अंग्रेजी पुस्तकों के हिंदी रूपांतरण पेश करने का प्रयास तेज किया है, वहीं हिंदी में मौलिक साहित्य लेखन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार ने भी हिंदी अनुवाद परियोजनाओं के जरिए इन गतिविधियों को बढ़ावा दिया है।

विशाल पाठक वर्ग से लैस होने के कारण हिंदी को अनुवाद के बाजार में खास महत्व हासिल है। पिछले साल नमिता गोखले के उपन्यास 'पारो : ड्रीम्स ऑफ पैशन' को रचना भोला यामिनी ने हिंदी में रूपांतरित किया था, वहीं चर्चित लेखक चेतन भगत की पुस्तक 'वन नाइट/द कॉल सेंटर' एवं 'द 3 मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ' ने अनुवाद के सहारे हिंदी पाठकों के बीच भी सर्वाधिक बिकाऊ पुस्तकों का रुतबा हासिल कर लिया।

सलमान रुश्दी की चर्चित रचना 'इनचैंट्रेस ऑफ लोरेंस' को वर्ष 2009 में 'लोरेंस की जादूगरनी' के रूप में रूपांतरित किया गया और पाठकों ने इसे खूब पसंद किया। हिंदी के जाने-माने लेखक अशोक वाजपेयी कहते हैं, "यह बेहतर प्रयास है।

हिंदी किसी भी भाषा के साहित्यक अवदान को आसानी से स्वीकार कर लेती है।" बेस्ट-सेलिंग लेखक अश्विन सांघी कहते हैं, "अभी यह शुरुआत भर है, पर यह ट्रेंड जरूर जोर पकड़ेगा।"

'इमोर्टल्स ऑफ मेलुहा' और 'सीक्रेट ऑफ नागाज' जैसी बेहद बिकाऊ पुस्तकों के लेखक आमिष कहते हैं, "मुझे तो लगता है कि पांच साल बाद ऐसी स्थिति आएगी कि दूसरी भाषाएं किताबों की बिक्री के मामले में अंग्रेजी को पीछे छोड़ देंगी। हिंदी का भविष्य सुनहरा है।"

'हेलो बस्तर' के लेखक राहुल पंडिता कहते हैं, "अंग्रेजी जानने वाले मेरे कई दोस्त हिंदी में पढ़ने के शौकीन हैं। मेरे कई दोस्तों ने मेरी पुस्तक का हिंदी संस्करण पसंद किया है। कोई भी प्रकाशक अब हिंदी को खारिज कर आगे नहीं बढ़ सकता।"
अन्य साहित्य लेख
वोट दें

क्या आप कोरोना संकट में केंद्र व राज्य सरकारों की कोशिशों से संतुष्ट हैं?

हां
नहीं
बताना मुश्किल