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तो अब प्रथम नागरिक प्रणब

तो अब प्रथम नागरिक प्रणब  'आई..प्रणब मुखर्जी...' जैसे ही शपथ लेने के ये वाक्य पूरे हुए, वैसे ही संसद का सेंट्रल हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। सेंट्रल हॉल में भारत के मुख्य न्यायाधीश एस.एच.कपाड़िया ने प्रणव को देश के 13 वें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। काली भव्य अचकन और सफेद झक चूड़ीदार पैजामे में प्रणब मुखर्जी ने जैसे ही शपथ पूरी की, कक्ष में बैठे सभी लोगों ने मेजें थपथपाकर और तालियां बजाकर उनका स्वागत किया। सेना ने उन्हें 21 तोपों की सलामी दी, जिसकी आवाज केन्द्रीय कक्ष में साफ सुनाई दे रही थी। बाद में घोडे पर सवार राष्ट्रपति के अंगरक्षक उन्हें अपनी सुरक्षा में काली लिमोजिन कार में बैठाकर राष्ट्रपति भवन ले गए।

शपथ ग्रहण करने के बाद राष्ट्र को संबोधित करते हुए भारत के नए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गरीबी, आंतकवाद, भ्रष्टाचार, कुशिक्षा और विकास पर खासा जोर दिया। उन्होंने कहा है कि ग़रीबी को दूर करना देश की सबसे बड़ी ज़रूरत है। उनका कहना था कि आधुनिक भारत के शब्दकोश में ग़रीबी जैसे शब्द की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। क्योंकि भूख से बड़ा कोई अपमान नहीं है। प्रणव ने कहा कि भारत का विकास वास्तविक लगे इसके लिए ज़रूरी है कि ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को यह महसूस हो कि वह उभरते भारत की कहानी का एक हिस्सा है।

"तीसरा विश्व युद्ध शीत युद्ध था। आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई चौथा विश्व युद्ध है. और यह विश्व युद्ध इसलिए है क्योंकि यह अपना शैतानी सिर दुनिया में कहीं भी उठा सकता है। "दुनिया भर में चरमपंथ के बढ़ते प्रभाव का ज़िक्र करते हुए प्रणब ने कहा कि अभी युद्ध का युग समाप्त नहीं हुआ है और चौथा युद्ध जारी है। उन्होंने कहा कि हमें इतिहास से सीखना चाहिए लेकिन हमारा ध्यान भविष्य पर केंद्रित होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा, 'हम चौथे विश्वयुद्ध के बीच में हैं,  शीतयुद्ध तीसरा विश्वयुद्ध था जिसका 1990 में समाप्त होने तक एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका पर काफी व्यापक असर रहा।'

राष्ट्रपति ने अतीत का स्मरण करते हुए कहा कि बंगाल के एक छोटे से गांव में दीपक की रोशनी से दिल्ली की जगमगाती रोशनी तक की इस यात्रा के दौरान मैंने विशाल और कुछ हद तक अविश्वसनीय बदलाव देखे हैं। उन्होंने कहा कि उस समय मैं बच्चा था, जब बंगाल में अकाल ने लाखों लोगों को मार डाला था। वह पीड़ा और दु:ख मैं भूला नहीं हूं।  लगभग चार दशक पहले पश्चिम बंगाल में राजनीतिक रैलियों में हिस्सा लेने के लिए मीलों पैदल चल कर जाने वाले प्रणव मुखर्जी सुबह 10 बजे के करीब पत्नी शुभ्रा के साथ काले रंग की लंबी कार में राष्ट्रपति भवन पहुंचे। मिलिट्री सेक्रेटरी और एडीसी प्रणव मुखर्जी और उनकी पत्नी को राष्ट्रपति भवन की स्टडी तक लेकर आए। स्टडी राष्ट्रपति कार्यालय को कहा जाता है। 10 बजकर 40 मिनट पर प्रणव और शुभ्रा को नॉर्थ कोर्ट में राष्ट्रपति के सचिव ने रिसीव किया, जहां से वह उन्हें प्रतिभा पाटिल के पास ले गए।

 11 बजकर 5 मिनट पर पारंपरिक घुड़सवारों से सजी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राष्ट्रपति भवन से दोनों एक ही गाड़ी में संसद भवन की ओर रवाना हो गए। जहां  मुख्य द्वार पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस.एच.कपाड़िया ने उनका स्वागत किया। उनके साथ राष्ट्रपति के अंगरक्षकों का क़ाफ़िला भी था। शपथ ग्रहण से पहले प्रणब मुखर्जी राजघाट पहुंचे और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। बापू को नमन करने के बाद प्रणव राजघाट से जवाहर लाल नेहरू की समाधि शांतिवन, इंदिरा गांधी की समाधि शक्तिस्थल और राजीव गांधी की समाधि वीरभूमि गए और तीनों दिवंगत प्रधानमंत्रियों को श्रद्धांजलि दी।

उम्मीद काफी
हालांकि राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार प्रणव की राजनीतिक पृष्ठभूमि के चलते राजनीतिक प्रेक्षकों की उनके कार्यकाल में काफ़ी दिलचस्पी है। माना जा रहा है कि प्रणब मुखर्जी के पास जितना राजनीतिक और वैधानिक अनुभवहै उसके बाद वह केवल रबर स्टैंप राष्ट्रपति नहीं बन रहेंगे। हालाँकि राष्ट्रपति का पद एक रस्मी पद है लेकिन यदि 2014 के चुनाव में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, जिसकी कि पूरी संभावना है, तो प्रणब मुखर्जी गठबंधन की बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

मुखर्जी ने भारतीय सुरक्षाबलों के साहस और हौसलों पर गर्व करते हुए कहा, 'मुझे गर्व है हमारी सेना पर जिसने सीमाओं पर इन धमकियों से लड़ाई लड़ी है, हमारी पुलिस फोर्स के वीर जवानों पर जिन्होंने देश के भीतर दुश्मनों का सामना किया है और जिन्होंने शांति व्यवस्था और आपसी सौहार्द बनाए रखकर आतंकियों के मंसूबों को नाकाम किया है।' सर्व शिक्षा पर ज़ोर देते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि शिक्षा ही वो मंत्र है जिसके ज़रिए भारत में अगला स्वर्ण युग लाया जा सकता है।

अपने संक्षिप्त भाषण के बाद प्रणव मुखर्जी निवर्तमान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के साथ राष्ट्रपति भवन चले गए। 12 बजकर 12 मिनट पर राष्ट्रपति भवन के फोरकोर्ट में प्रणव मुखर्जी ने एक जीप में सवार होकर गॉर्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। उसके बाद तीनों सेना प्रमुखों ने आखिरी बार राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल को सलामी दी। फिर राष्ट्रपति प्रणव, प्रतिभा पाटिल को उनके नए घर 2, तुगलक लेन तक छोड़ने गए। इस दौरान प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी भी काफिले में शामिल थे।   

राजीव रंजन  नाग
राजीव रंजन   नाग लेखक राजीव रंजन नाग जानेमाने पत्रकार हैं. पत्रकारिता के अपने लम्बे कैरियर में तमाम विषयों पर लिखा और कई राष्ट्रीय दैनिकों को अपनी सेवाएँ दी. वह मान्यता प्राप्त पत्रकारों के संगठन 'प्रेस एसोसिएशन' के वरिष्ठ पदाधिकारी होने के साथ-साथ प्रेस काउन्सिल ऑफ़ इंडिया के सदस्य भी हैं.

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