ओसामा की मौत के बाद भी दुनियां सुरक्षित नहीं

ओसामा की मौत के बाद भी दुनियां सुरक्षित नहीं नई दिल्ली: अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन की मौत को सालभर हो गए हैं। पिछले साल दो मई को अमेरिकी सुरक्षा बलों ने ओसामा को पाकिस्तान के एबटाबाद में मार गिराया था। लेकिन उसकी मौत के सालभर बाद भी दुनिया सुरक्षित नहीं है। खासकर भारत को अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है।

विश्लेषकों मानना है कि ओसामा की मौत के बाद वैश्विक आतंकवाद की स्थिति में मामूली अंतर आया है। हो सकता है कि उसकी मौत से अलकायदा थोड़ा कमजोर हुआ हो, लेकिन यह अब भी खतरनाक है।

जहां अमेरिकी सत्ता प्रतिष्ठानों का मानना है कि अलकायदा में ओसामा के बाद दूसरे महत्वपूर्ण आतंकवादी आयमन अल-जवाहरी सहित इस गिरोह के कई अन्य शीर्ष अब भी पाकिस्तान के कबीलाई क्षेत्रों में सक्रिय हैं, वहीं पाकिस्तान के विश्लेषक हामिद मीर का कहना है कि मृत ओसामा किसी भी जीवित आतंकवादी से अधिक खतरनाक है।

भारत में सुरक्षा विशेषज्ञ भी इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए कहते हैं कि नई दिल्ली को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। कमाडोर (सेवानिवृत्त) सी. उदय भास्कर ने नई दिल्ली में कहा कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र अब अधिक अमेरिका विरोधी हो गया है।

अफगानिस्तान से वर्ष 2014 तक अमेरिकी सैनिकों की वापसी का उल्लेख करते हुए भास्कर ने कहा, "भारत को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। अफगानिस्तान से सोवियत संघ के सैनिकों की वापसी के बाद जम्मू एवं कश्मीर में आतंकवाद अधिक सक्रिय हुआ था।"

इंस्टीट्यूट फॉर कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट के संस्थापक सदस्य व कार्यकारी निदेशक अजय साहनी ने आईएएनएस से कहा कि दुनिया आज अधिक अनिश्चित है। पाकिस्तान को अपने यहां चरमपंथ पर नियंत्रण रखना होगा।

पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर के अनुसार, "अमेरिकी अधिकारियों ने बहुत बार दावा किया है कि ओसामा की मौत के बाद अलकायदा कमजोर हुआ है, लेकिन वे भी इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि ओसामा अब भी अफगानिस्तान, यमन, इराक और फिलिस्तीन में आतंकवादियों की प्रेरणा का स्रोत है।"

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी रेयूल मार्क गेरेच ने इससे सहमति जताते हुए कहा, "मुझे नहीं लगता कि ओसामा की मौत से पाकिस्तान व अफगानिस्तान के जिहादियों की आगामी योजना प्रभावित होगी।"
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